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श्री जिन शासन देव की जय....श्री महावीरस्वामी भगवान की जय....
परम पूज्य सिद्धांत महोदधि, सचारित्र चूड़ामणी,कर्म साहित्य निष्णात आचार्य देवेश श्रीमद विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराज के चरणों मे श्री वेप्स मण्डल का कोटि कोटि वंदन....
25वे तीर्थंकर की उपमा के स्वामी पंच महाजन श्री रुवाई-जैन संघ के चरणारविन्द में शत शत नमन-वंदन-अभिनंदन....
"श्री वेप्स मण्डल " के नाम से पहचानी जानेवाली इस संस्था का पूरा नाम "श्री विजय आचार्य प्रेम सुरिश्वरजी जैन नवयुवक मंडल" है। सेवार्थ कार्यो की भावना के साथ शुभ मुहर्त में श्री वेप्स मण्डल की पुनः स्थापना 1986 में हुई । स्थापना के समय 9 सदस्य थे एवं स्थापना के बाद 21 सदस्य बने, जिनकी जैन बैंड, प्रभु अंगरचना एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रमुख गतिविधियों से आज उन सभी सदस्यों की अनुमोदना करते है जिन्होंने इस मण्डल की स्थापना कर सेवार्थ कार्य का बीजारोपण किया। दादा गुरुदेव श्री प्रेमसूरीश्वरजी की असीम कृपा दृष्टि से मण्डल का कार्य सेवा के क्षेत्र में दिन दुगुना एवं रात दोगुना बढ़ता ही जा रहा है। मण्डल द्वारा प्रभु आंगी, जैन म्यूजिकल बैंड,जीवदया, अनुकंपा, साधु वैयाव्च्छ भक्ति, साधर्मिक भक्ति, निशुल्क दवाई वितरण , एम्बुलेंस सेवा ,गृह उद्योग का संचालन आदि अनगीनत धार्मिक व सामाजिक कार्य करते हुए कल के छोटे से पौधे ने आज विशाल वटवृक्ष का रूप धारण कर लिया है। आज हमारे मण्डल में 211 सदस्य सक्रिय रूप से कार्यरत है। पिछले कई वर्षों से हमारा एक सपना जीवदया एवं दादा प्रेम सुरीजी के नाम का धाम बनाने का था। आज हो रहा है। है गुरु देव । आप जहाँ कही भी बिराजमान है, वहाँ से हमे आशीर्वाद दीजिये जिससे हम बिना किसी विघ्न बाधा के सेवा को कटिबध्द हो आगे काम के लिए बढ़ते रहे।
हमारी संस्थ द्वारा 27वी वर्षगाठ पर पांजरापोल का उद्धघाटन हर्षोल्लास से किया गया। ऐसे में हम श्री रुवाई-जैन संघ का ह्रदयपूर्वक आदर सम्मान करते है। श्री संघ के उपकार से हम इतनी लंबी मंज़िल तक पहुँच पाये है पिछले 31 वर्षों में जिस प्रकार हमे सहयोग और सहकार प्रदान किया है और इसी प्रकार भविष्य में भी आपका प्यार एवं सहकार-सहयोग मिलता रहेगा इसी शुभ भावना के साथ "नमो तित्थस" करते हुए श्री चतुर्विध संघ को प्रणाम करते है।